Patriotism Kavita(poem)
जीरो पारे के नीचे जहाँ पत्थर भी जम जाते हैं,
अजेय सियाचिन पे ये बेखौफ चढ़ते जाते हैं,
कारगिल युद्ध में ये शान से तिरंगा लहराते हैं,
देश के लिए कुर्बानी देने ये सबसे आगे आते हैं,
ये लोग कहाँ से आते हैं।
भगत हो या अशफाक उल्ला ये फाँसी पर चढ़ जाते हैं,
झाँसी की रानी और शिवाजी अपना रक्त बहाते हैं,
लाला जी फिर आजादी पाने को सिर पर लाठियाँ खाते हैं,
सुभाष चंद्र बोस के साथ लोग फिर बंदूक उठाते जाते हैं,
ये लोग कहाँ से आते हैं।
मनीषा