raksha bandhan poem in hindi

        Raksha bandhan poem in hindi रक्षा बंधन के पावन और रंगीन रिवाज की ढेरों बधाई, बहन की ओर से भाई के दिल में बसी प्यारी बोंड की है यह तारीख। बहन की इज्जत, भाई का साथ, यह प्यार की रिश्ता, अमूल्य और निरंतर बना रहता है रात-दिन। भाई की सुरक्षा की … Read more

Harivanshrai Bachchan Poetry

Harivanshrai Bachchan Poetry चाँदनी फैली गगन में चाँदनी फैली गगन में, चाह मन में।दिवस में सबके लिए बस एक जग हैरात में हर एक की दुनिया अलग है,कल्पना करने लगी अब राह मन में;चाँदनी फैली गगन में, चाह मन में। भूमि के उर तप्त करता चंद्र शीतलव्योम की छाती जुड़ाती रश्मि कोमल,किंतु भरतीं भावनाएँ दाह … Read more

Ramdhari Singh Dinkar Poetry

Ramdhari Singh Dinkar Poetry: रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद,आदमी भी क्या अनोखा जीव होता है!उलझनें अपनी बनाकर आप ही फँसता,और फिर बेचैन हो जगता, न सोता है। जानता है तू कि मैं कितना पुराना हूँ?मैं चुका हूँ देख मनु को जनमते-मरते;और लाखों बार तुझ-से … Read more

महाकवि रामधारी सिंह दिनकरकृष्ण की चेतावनी

महाकवि रामधारी सिंह दिनकर कृष्ण की चेतावनी वर्षों तक वन में घूम-घूम, बाधा-विघ्नों को चूम-चूम,सह धूप-घाम, पानी-पत्थर,पांडव आये कुछ और निखर।सौभाग्य न सब दिन सोता है,देखें, आगे क्या होता है। मैत्री की राह बताने को,सबको सुमार्ग पर लाने को,दुर्योधन को समझाने को,भीषण विध्वंस बचाने को,भगवान् हस्तिनापुर आये,पांडव का संदेशा लाये। ‘दो न्याय अगर तो आधा … Read more

महाकवि रामधारी सिंह दिनकर

महाकवि रामधारी सिंह दिनकर जला अस्थियाँ बारी-बारी चिटकाई जिनमें चिंगारी,जो चढ़ गये पुण्यवेदी परलिए बिना गर्दन का मोलकलम, आज उनकी जय बोल। जो अगणित लघु दीप हमारेतूफानों में एक किनारे,जल-जलाकर बुझ गए किसी दिनमाँगा नहीं स्नेह मुँह खोलकलम, आज उनकी जय बोल। पीकर जिनकी लाल शिखाएँउगल रही सौ लपट दिशाएं,जिनके सिंहनाद से सहमीधरती रही अभी … Read more

महाकवि रामधारी सिंह दिनकर

महाकवि रामधारी सिंह दिनकर सदियों की ठण्डी-बुझी राख सुगबुगा  उठीमिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती हैदो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनोसिंहासन खाली करो कि जनता आती है जनता ? हाँ, मिट्टी की अबोध मूरतें वहीजाड़े-पाले की कसक सदा सहनेवाली जब अँग-अँग में लगे साँप हो चूस रहेतब भी न कभी मुँह खोल दर्द … Read more

सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला poem

                   सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला             चिड़ियों को आवाज़ दो, आसमां को रंग दो,            मेरे हिन्द को स्वतंत्र बना, अपनी माता को संग दो।            आग लगाओ दिलों में, उत्साह को जगाओ,      … Read more

सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’

                 सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’                   आज अपने पाठ पढ़ाने चला हूँ,                  हाथों में किताबें, सबको बताने चला हूँ।                  शब्दों की चंदनी से आंधी उठाने चला … Read more

रामधारी सिंह दिनकर

                रामधारी सिंह दिनकर                           हौसलों की उड़ान कोई परिंदा नहीं होता,                           उठता है जो तब जब सब झुकते हैं।       … Read more

दोस्ती का रंग(रामधारी सिंह दिनकर)

        रामधारी सिंह दिनकर             जब मिलती है वो संगीनी दोस्ती,             खुशियों का भंवर भर जाती है सबको हँसाती।               जीवन के सफर में एक रंग बन जाती है वो,            … Read more