Panchtantra stories

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                        Panchtantra stories

 “ऊंट और सियार: एक दोस्ती की कहानी जो सिखाती है सहयोग का महत्व”

एक समय की बात है, एक ऊंट और एक सियार बहुत गहरी दोस्ती से जुड़े थे। एक दिन उन्होंने मिलकर खेत में तरबूज खाने का प्लान बनाया। खेत में बैठकर तरबूजों का आनंद लिया, लेकिन खाने के बाद सियार अपनी खुशी को जाहिर करने लगा।

ऊंट ने धीरे से समझाया, “बेवजह चिल्लाने से कोई फायदा नहीं होगा। तुम्हारी चिल्लाहट से किसान आ सकता है।”

“तू चिल्ला मत, यह सब मेरे पेट को अच्छा नहीं लगा,” सियार ने जवाब दिया।

जल्द ही किसान आ गया और सियार के चिल्लाने की तरफ दौड़ा। सियार भागने लगा, लेकिन ऊंट को पकड़ कर किसान ने उसे लाठियों से मारा।

एक दिन, ऊंट ने सियार से कहा, “चलो नदी में तैरते हैं। मैं तैरने का आनंद लेता हूँ और तू मेरी पीठ पर बैठकर रहेगा।”

सियार तैयार हो गया और ऊंट की पीठ पर बैठकर नदी की ओर बढ़ने लगे। जब ऊंट गहरे पानी में पहुँचा, तो वह डुबकी लगाने लगा।

सियार चिल्लाकर बोला, “अरे, ये क्या कर रहे हो? मैं डूब जाऊंगा!”

“मेरे लिए तो यह तैरने की प्रैक्टिस है, सियार। तू तो मेरी पीठ पर बैठकर रहना ही।” ऊंट ने उसे समझाया।

सियार ने उसकी सलाह मानी और गहरे पानी में डुबकी लगाई। इस कहानी से हमें सिखने को मिलता है कि सहयोग और आपसी समझ से ही हम अपने मुश्किल समयों को पार कर सकते हैं।

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