Kavita(poem)

  जिंदगी के सफर में आराम हराम ही तो है।

  सच्चाई वाले चेहरे बदनाम ही तो है।

  कोशिशों के मंजर नाकाम ही तो है।

  आज बगल में छुरी मुंह में राम ही तो है।

  भ्रष्टाचार और धोखा आम ही तो है। 

  अब यही बन गई देश की पहचान ही तो है।

   होता जहाँ हर शहादत पर अपमान ही तो है।

  मजबूरी और गरीबी का आसमान ही तो है।

  चाहे गंदा हो या घटिया काम ही तो है।

  सरहद के वीरों के दिलों में देश का नाम ही तो है।

  चली गई जिसके लिए जान जान ही तो है।

  मनीषा

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