सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
चिड़ियों को आवाज़ दो, आसमां को रंग दो,
मेरे हिन्द को स्वतंत्र बना, अपनी माता को संग दो।
आग लगाओ दिलों में, उत्साह को जगाओ,
खुद भी जलो उजालों में, नये निर्माण को पाओ।
खुशियां बांटो, आपस में प्यार बरसाओ,
दूध पीलाओ बच्चों को, शिक्षा को उगल जाओ।
स्वादिष्ट खाने का अधिकार, गरीब को दिलाओ,
ग्रामीण क्षेत्रों को जीवन, उन्नति को बहाओ।
अपने अंदर छुपी ताकत, जगाओ और बढ़ाओ,
विद्या की लौ को जलाओ, अज्ञान को मिटा दो।
स्वच्छता का संकल्प लो, देश को सुंदर बनाओ,
ग्रामीण क्षेत्रों की गरिमा, सम्मान से छोड़ आओ।
निर्मल भारत की ओर बढ़ो, नयी दिशा में बढ़ाओ,
अपनी अमिट शक्ति से, अपने स्वप्नों को पूरा करो।
चिड़ियों को आवाज़ दो, आसमां को रंग दो,
निराला हूँ मैं, निराला बना, अपनी माता को संग दो।