रामधारी सिंह दिनकर
हौसलों की उड़ान कोई परिंदा नहीं होता,
उठता है जो तब जब सब झुकते हैं।
दबता नहीं आंधियों में वह तूफानों को,
करता नहीं किसीसे वह मोहब्बत जो।
उसकी हौसले की ऊंचाई अनमोल होती है,
दूसरों की आँखों में उम्मीद जगाता है।
वह चिढ़ाता नहीं हार के डर से,
नई राहों को अपनी पहचान बनाता है।
जब तक हौसलों का आगाज जीवन में हो,
कोई भी रास्ता आसान नहीं होता।
मुश्किलों को देखते हैं मुट्ठी बंद करके,
उन्हें प्यार से हर मुश्किल से लड़ता है।
हौसलों की उड़ान बहुत खूबसूरत होती है,
जब वह अपने सपनों को पंख देती है।
जीने की राह में बाधाएं आए बहुत,
लेकिन हर बार उसने अपनी जीत हासिल की है।
हौसलों की उड़ान कोई परिंदा नहीं होता,
उठता है जो तब जब सब झुकते हैं।
जगा देता है वह हर आशा को,
दिल में जगाता है नयी उमंगों को।