रामधारी सिंह दिनकर
जब मिलती है वो संगीनी दोस्ती,
खुशियों का भंवर भर जाती है सबको हँसाती।
जीवन के सफर में एक रंग बन जाती है वो,
दर्द के बादलों को छूने को आकर आती है वो।
खुशियों की धूप या ग़म की छाया,
जहाँ भी हो दोस्ती, वहाँ रहती है दुखभरी राहा।
जब चोट लगती है जीवन की जंजीरों में,
दोस्ती देती है आशा और मुस्कान की सीरों में।
संगीत की तरह आहटें मिलती हैं यारों की,
दोस्ती के रंग में धूम मचाती हैं जिंदगी की।
जब भी गिर पड़ें हम, जब भी उदास हों हम,
दोस्ती आगे आती है, हमेशा साथ हों हम।
छोटे-छोटे पलों को ख़ास बना देती है ये बंधन,
बड़े बड़े सपनों को हक़ीक़त में बदल देती है दोस्ती
जीवन के साथी, दिल के संगी, ये हैं वो यार,
मिल जाते हैं कठिनाइयों में हमेशा सहारा बनकर।
दोस्ती की धुन में गाती हैं ये ज़िंदगी की ख़ुशबू,
हर पल में खुशी और मुस्कान बहाती है ये सदूल।
चाहे दूर हो या पास, मिलती हैं ये रूह से रूह को,
दोस्ती का रंग जगाती हैं,
ये हैं दोस्ती का रंग,
आपके और मेरे दोस्तों के
ख़ुश रहो हमेशा,
ये हैं दिल से आपकी हमारी कामनाएं।