कहानी: “दो बैलों की कथा”
लेकिन जब दोनों बैलों को साथ में काम करने के लिए जोड़ा, तो वे असमंजस में पड़ गए। नया बैल बहुत जिद्दी और आदती होता था, जो उनके काम को बड़ी मुश्किल में डाल देता। संगीतराम और दुकबरी ने कई तरह की कोशिशें की, परन्तु बैलों को साथ में समझना बहुत कठिन था।
अंत में, उन्होंने एक पुराने, गिरे हुए और दौड़ने-फिरने वाले बैल को वापस लेने का निर्णय लिया। वे दोनों समझ गए कि वह पुराना बैल आदती था, पर वह उन्हें अच्छे से समझता था और काम में मदद कर सकता था। उन्होंने नये बैल को वापस बेच दिया और पुराने बैल के साथ ही काम करना जारी रखा।
इस कहानी से हमें यह समझ मिलती है कि कभी-कभी नए चीज़ों को प्राप्त करना हमें खुशी तो देता है, पर वह हमारे लिए सही नहीं होता है। हमें अपने मूल्यों, अहिंसा, ईमानदारी, और संगठनशीलता के साथ जुड़े रहने की आवश्यकता होती है। वैसे ही, हमें अपने बच्चों को भी मानवीय मूल्यों और नैतिकता के महत्व को सिखाना चाहिए, जो उन्हें एक जीवन में सफलता और सम्मान प्राप्त करने में मदद करेगा।