अंगुलिमाल की कहानी हिंदी में

बहुत समय पहले, भारत में एक राजकुमार था जिसका नाम अहिंसक था। अहिंसक अपने माता-पिता के प्रेम में बड़ा हुआ था और उनका आशीर्वाद पाकर वे बड़े ही धार्मिक और भक्तिमय बन गए। वे अपने पिता के राज्य का उत्कृष्ट और योग्य उत्तराधिकारी बनने का सपना देखते थे।

एक दिन, अहिंसक अपने गुरु से मिलने के लिए गुरुकुल में जा रहे थे। उन्हें रास्ते में एक संन्यासी महात्मा मिला, जिसका नाम भगवान बुद्ध था। अहिंसक ने गुरुकुल पहुंचने के बजाय महात्मा बुद्ध के पास जाने का निर्णय लिया।

उन्होंने बुद्ध से कहा, “महात्मा, मैं राजकुमार अहिंसक हूँ और मुझे अपने पिता के राज्य का उत्तराधिकारी बनना है। कृपया मुझे आदर्श और धार्मिक जीवन जीने के लिए मार्गदर्शन दें।”

भगवान बुद्ध ने आहिंसक की अपेक्षा अपनी उच्च बुद्धिमत्ता के कारण संन्यासी बनने की सलाह दी। यह सुनकर अहिंसक काफी चकित हुए, लेकिन वे बुद्ध की सीख को स्वीकार करने के लिए तैयार हो गए।

धीरे-धीरे, अहिंसक को अपने आसपास के लोगों के दुःख का आभास होने लगा और उन्होंने इसके कारण आपत्ति और दुख उग्रों को समझना शुरू किया। उन्होंने भगवान बुद्ध की सिखायी हुई अहिंसा, करुणा और प्रेम के मार्ग पर चलने का प्रयास किया।

उस समय, एक भयंकर राक्षस आया, जिसका नाम अंगुलिमाल था। अंगुलिमाल लोगों को रास्ते में मारकर उनके उंगलियों को काट लेता था और उन्हें माला बना लेता था। लोग उसे डर से भागते थे और वह जंगल में एक दयालु योगी का शिष्य बन गया।

अहिंसक ने यह सुनकर की अंगुलिमाल जंगल में त्रासदी मचा रहा है, और उसे मारने का निश्चय किया। वे जंगल में गए और अंगुलिमाल से मिलने के लिए उनके पास पहुंचे। जब अंगुलिमाल ने अहिंसक को देखा, तो उसे विस्मय हुआ कि वह उन्हें मारने की बजाय दया और प्रेम से देख रहे हैं।

अहिंसक ने अंगुलिमाल से कहा, “भगवान बुद्ध के उपदेशों के अनुसार, हमें दूसरों के प्रति प्रेम और सहानुभूति रखनी चाहिए। कृपया इस हिंसा से बाहर निकलें और इसके बजाय शांति और प्रेम का पाठ पढ़ें।”

अंगुलिमाल आहिंसक की बातों से प्रभावित हुआ और वह अपने पूरे जीवन को समर्पित करके एक साधु बन गया। उसने अपना अंगुलियों की माला त्याग दी और उनके मारे गए लोगों के परिवार की सेवा करने लगा।

इस तरह, अहिंसक की मदद से अंगुलिमाल अपने अत्याचारी और हिंसक जीवन से बाहर निकलकर शांति और प्रेम का जीवन जीने लगा। यह एक उदाहरण है कि बुद्ध की सीख और प्रेम की शक्ति अपरिहार्य होती है और किसी भी इंसान को परिवर्तित कर सकती है।

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